इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पारिवारिक विवाद में पत्नी की बेवफाई को लेकर अहम व्यवस्था दी है। जस्टिस विवेक अग्रवाल ने एक आदेश में कहा है कि बच्चे के पिता कौन हैं, यह प्रमाणित करने का डीएनए सबसे ज्यादा वैध और वैज्ञानिक तरीका है। इसके अलावा डीएनए टेस्ट से पत्नी की बेवफाई भी साबित की जा सकती है।

कोर्ट का यह आदेश राम आसरे की याचिका की सुनवाई में आया। याचिका के साथ ही कोर्ट के समक्ष मुद्दा आया कि क्या अदालत, हिंदू विवाह अधिनियम-1955 की धारा 13 के तहत पति की ओर से दायर तलाक की याचिका में व्यभिचार के आधार पर पत्नी को यह निर्देश दे सकती है कि वह या तो डीएनए टेस्ट कराए या इससे मना कर दे? अगर वह डीएनए टेस्ट कराने का चुनाव करती है, तो क्या डीएनए टेस्ट का परिणाम आरोप की सत्यता का निर्धारण करता है?

यह है पूरा मामला

उप्र के हमीरपुर के रहने वाले दंपती का फैमिली कोर्ट से तलाक हो चुका है। पति के मुताबिक जनवरी 2013 से अपनी पत्नी के साथ नहीं रह रहा था। जून 2014 को दोनों का तलाक हो गया। पत्नी अपने मायके में रह रही थी। जनवरी 2016 में उसने एक बच्चे को जन्म दिया। पत्नी का कहना है कि बच्चा पूर्व पति का है। पूर्व पति राम आसरे ने फैमिली कोर्ट में डीएनए टेस्ट मांग में अर्जी दाखिल की, पर कोर्ट ने ठुकरा दिया। बाद में उसने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी।



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DNA test to prove if wife is unfaithful or better, order of Allahabad High Court on family dispute


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