वह 24 जुलाई को 45वां जन्मदिन मनाएंगे और माना जा रहा है तोहफे के तौर पर उन्हें पिता से सीएम की कुर्सी मिल सकती है। यह संभावना इसलिए भी बढ़ रही है क्योंकि इसके आसपास ही नए सचिवालय भवन में काम शुरू हो जाएगा।
दरअसल, केसीआर ज्योतिष और वास्तु को बहुत मानते हैं। उनके वास्तु सलाहकारों ने बताया था कि पुराने सचिवालय में "दोष' के कारण ही वह बेटे को सीएम नहीं बना पा रहे हैं। इसके बाद नए सचिवालय का निर्माण शुरू हुआ। दूसरी ओर, केसीआर भले सत्ता हस्तांतरण से इनकार कर चुके हैं लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों और खुद उनकी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति के नेताओं का मानना है कि देर-सबेर वह बेटे को कुर्सी सौंप देंगे। दरअसल, खराब सेहत के चलते केसीआर की सार्वजनिक कार्यक्रमों में उपस्थिति कम हो रही है।
उन्हें लगता है अगर समय रहते उन्होंने पार्टी और सत्ता की कमान बेटे को नहीं सौंपी तो पार्टी में विभाजन तक हो सकता है। सत्ता और पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक जुलाई के पहले या दूसरे हफ्ते तक केसीआर बेटे को कुर्सी सौंप देंगे। हालांकि टीआरएस महासचिव और संसदीय दल के नेता केके केशव राव मुख्यमंत्री बदलने की अटकलों की अफवाह बताते हैं। जबकि, प्रदेश कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष रेवंथा रेड्डी कहते हैं कि केसीआर बेहद चतुर नेता हैं। उनके फैसले का अनुमान लगाना कठिन है।
बेटे और भतीजे में तकरार से भी चिंता
केसीआर का भतीजा टी हरीश राव भी उनकी कैबिनेट में मंत्री है, लेकिन बेटे और भतीजे के बीच सत्ता को लेकर अंदरखाने की तकरार भी पार्टी प्रमुख के लिए चिंता की बात है। विधानसभा चुनाव से पहले विपक्ष के निशाने पर आने के बाद उन्होंने बेटे और भतीजे दोनों को कैबिनेट से हटा दिया था। हालांकि बेटे को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर उन्होंने यह संदेश दे दिया था कि उनके उत्तराधिकारी केटीआर हो होंगे।
विधानसभा चुनाव में पार्टी के कैंपेन की अगुवाई भी केटीआर ने ही की। परिवार से जुड़े लोग कहते हैं कि इस विधानसभा चुनाव से पूर्व खुद केसीआर ने अपनी विरासत बेटे को सौंपने का ऐलान किया था। ऐसे में माना जा रहा है कि राजनीतक बैटन बेटे को सौंपने में केसीआर ज्यादा देरी नहीं करेंगे।
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