IIT कानपुर के असिस्टेंट रजिस्ट्रार सुरजीत दास ने सोमवार की रात फांसी लगाकर जान दे दी। मंगलवार सुबह पत्नी बुलबुल दास कमरे में पहुंची तो उन्हें पंखे से लटकता पाया। पत्नी के मुताबिक, हफ्ते भर पहले डेढ़ साल के बेटे को कोरोना संक्रमण हुआ तो वे गुमसुम हो गए थे। वे डिप्रेशन के मरीज थे। सुरजीत IIT कैंपस में रहते थे।
घर के बाहर कोविड पोस्टर लगने से बढ़ गया था तनाव
पत्नी बुलबुल ने बताया कि बच्चे की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आने के बाद से घर के बाहर कोविड-19 होने का पोस्टर चस्पा कर दिया गया था। इसके बाद से पूरे कॉलोनी में लोगों को जानकारी हो गई थी और लोग उनके घर के आसपास आने से बच रहे थे। खुद को उपेक्षित महसूस होने के बाद से वह और तनाव में रहने लगे थे।
असम के रहने वाले थे सुरजीत
असम के रहने वाले सुरजीत दास IIT में 2015 से असिस्टेंट रजिस्ट्रार के पद पर कार्यरत थें। वह कैंपस के टाइप-3 में पत्नी बुलबुल और दो बच्चों शोभित व सुनियोजित के साथ रहते थे। पत्नी ने बताया कि रात में खाना खाने के बाद वह अपने कमरे में चले गए थे। देर रात 2 बजे उन्होंने पति को कमरे में ठीक ठाक देखा था।
सुबह काफी देर तक कमरे से बाहर नहीं आने पर 9 बजे जब कमरे में गई तो चादर के सहारे पंखे से शव लटक रहा था। हाथ-पैर उनके ठंडे पड़ चुके थे। उन्होंने IIT प्रशासन को इसकी जानकारी दी और पड़ोसियों की मदद से उन्हें हॉस्पिटल लेकर पहुंची। जहां जांच के बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
पत्नी बुलबुल के साथ सुरजीत दास। असम के रहने वाले सुरजीत IIT में 2015 से असिस्टेंट रजिस्ट्रार के पद पर कार्यरत थे।
पत्नी बुलबुल के साथ सुरजीत दास। असम के रहने वाले सुरजीत IIT में 2015 से असिस्टेंट रजिस्ट्रार के पद पर कार्यरत थे।
पुलिस और फॉरेंसिक टीम ने जुटाए साक्ष्य, कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला
DCP संजीव त्यागी ने बताया कि दोपहर 12 बजे जानकारी मिलते ही कल्याणपुर पुलिस और फॉरेंसिक टीम मौके पर जांच करने पहुंची थी। जांच के दौरान कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला है, फिर भी पुलिस मृतक की पत्नी और आसपास के लोगों से पूछताछ करके आत्महत्या की सही वजह जानने का प्रयास कर रही है।
पहले से थे मानसिक अवसाद के शिकार, चल रहा था इलाज
पत्नी बुलबुल के मुताबिक सुरजीत पहले से ही मानसिक अवसाद के शिकार थे। उनका एक होम्योपैथिक डॉक्टर से इलाज चल रहा था। बेटे के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद से उनका मानसिक तनाव बढ़ गया था और गुमसुम से रहने लगे थे।
Source : Dainik Bhaskar
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