नीतीश कुमार ने आज 7वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। उनके साथ 14 मंत्रियों ने भी शपथ ली। नीतीश कैबिनेट के सभी मंत्री करोड़पति हैं। यानी सबसे अमीर मंत्री भी करोड़पति है और सबसे कम संपत्ति वाला भी करोड़पति।
नई कैबिनेट में सबसे अमीर भाजपा के रामसूरत राय हैं, जिनके पास 26.88 करोड़ रुपए की संपत्ति है। जबकि, सबसे कम 1.05 करोड़ रुपए की संपत्ति भाजपा के ही रामप्रीत पासवान के पास है। कैबिनेट की औसत संपत्ति 5.56 करोड़ रुपए है।
इस बार कैबिनेट की औसत उम्र 58 साल है। सबसे उम्रदराज मंत्री हैं जदयू के बिजेंद्र यादव, जो 74 साल के हैं। और सबसे युवा मंत्री हैं VIP के मुकेश सहनी, जिनकी उम्र 41 साल है। मुकेश सहनी न सिर्फ सबसे युवा हैं, बल्कि सबसे कम पढ़े-लिखे भी हैं। सहनी सिर्फ 8वीं पास हैं। नीतीश की नई कैबिनेट में 7 मंत्री ग्रेजुएट या पोस्ट ग्रेजुएट हैं। 4 मंत्री डॉक्टरेट और 3 मंत्री12वीं पास हैं।
नीतीश समेत 15 मंत्रियों में सवर्ण समुदाय से 5, पिछड़ा वर्ग से 7 और दलित समुदाय से 3 नेताओं को मंत्री बनाया गया है। नई कैबिनेट में 15 में से 9 मंत्रियों पर कोई न कोई क्रिमिनल केस दर्ज है। इस हिसाब से हर दूसरे मंत्री पर क्रिमिनल केस दर्ज है। सबसे ज्यादा 5-5 मामले VIP के मुकेश सहनी और भाजपा के जीवेश मिश्रा पर हैं। अब जानते हैं इन सभी 15 मंत्रियों के बारे में...
1. नीतीश कुमारः 1985 में पहली बार नालंदा जिले की हरनौत सीट से विधायक बने। उसके बाद 1989, 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में लगातार 6 बार लोकसभा चुनाव जीता। अटल सरकार में कृषि मंत्री रहे। 3 मार्च 2000 को पहली बार सीएम बने। 2006 से विधान परिषद के सदस्य हैं।
2. तारकिशोर प्रसादः 1980 से राजनीति में हैं। BNM यूनिवर्सिटी के सीनेट सदस्य रहे हैं। अक्टूबर 2005 से लगातार चौथी बार कटिहार से विधायक बने हैं।
3. रेणु देवीः 2000 से लेकर 2010 तक यहां से लगातार चार बार विधायक बनीं। 2015 में कांग्रेस के मदन मोहन तिवारी से महज 2,320 वोटों से हार गई थीं। इस बार मदन मोहन तिवारी को ही 18,079 वोटों से हराकर 5वीं बार विधायक बनीं।
4. विजय चौधरीः बिहार विधानसभा के अध्यक्ष रहे हैं। 2010 में ललन सिंह के बाद जदयू के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए थे। 1982 के उपचुनाव में दलसिंहराय से राजनीतिक करियर शुरू किया।
5. बिजेंद्र प्रसाद यादवः 1990 में पहली बार जनता दल के टिकट पर सुपौल सदर सीट से पहली बार विधायक बने। 7वीं बार विधायक बने हैं। 2005 में जदयू के प्रदेश अध्यक्ष रहे। बिहार सरकार में कई विभागों में मंत्री रहे हैं। नई विधानसभा के सबसे उम्रदराज विधायक हैं।
6. मेवालाल चौधरीः मुंगेर जिले के तारापुर से लगातार दूसरी बार विधायक बने हैं। इससे पहले 2010 में उनकी पत्नी नीता चौधरी यहां से विधायक थीं। चौधरी पर असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में घोटाले का आरोप लगा था। उस वक्त चौधरी कुलपति थे।
7. शीला मंडलः पहली बार विधायक बनी हैं। फुलपरास सीट से मौजूदा विधायक गुलजार देवी का टिकट काटकर इन्हें दिया गया था।
8. अशोक चौधरीः कांग्रेस से जदयू में आए और फिर नीतीश कुमार ने इन्हें अपनी सरकार में भवन निर्माण मंत्री बनाया। मार्च 2018 में इन्होंने जदयू की सदस्यता ले ली थी। इससे पहले नीतीश-लालू की दोस्ती वाली सरकार में ये शिक्षा मंत्री रहे थे। पिछले एक-दो साल में जो नेता नीतीश कुमार के काफी नजदीक हुए उसमें अशोक चौधरी भी हैं। वे बिहार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं।
9. संतोष सुमन मांझीः पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बेटे है। संतोष विधान परिषद के सदस्य हैं। संतोष मांझी हम पार्टी के प्रधान महासचिव और संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष हैं।
10. मुकेश सहनीः विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के संस्थापक हैं। पहले बॉलीवुड में स्टेज डिजाइनर थे। 2015 के चुनाव में भाजपा के लिए प्रचार किया था। बाद में खुद की पार्टी बनाई। 2019 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन का हिस्सा थे। इस बार सिमरी बख्तियारपुर से चुनाव लड़ा, लेकिन राजद के युसुफ सलाहुद्दीन से महज 1,759 वोटों से हार गए।
11. मंगल पांडेयः 1989 में भाजपा में शामिल हुए। उन्हें 2005 में राज्य भाजपा का महासचिव बनाया गया। 2012 में वे बिहार विधान परिषद के सदस्य बनाए गए। वर्ष 2013 में उन्हें बिहार भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया। पिछली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे।
12. अमरेंद्र प्रताप सिंहः राजनीति की शुरुआत जनसंघ से की। आरा से चौथी बार विधायक बने हैं। इनके पिता स्व. बिहारी प्रसाद सिंह थे, जो स्वतंत्रता सेनानी और किसान थे। पहली बार उन्होंने 1991 में झारखंड की जमशेदपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, जिसमें वो हार गए थे।
13. डॉ. रामप्रीत पासवानः चार बार के विधायक हैं। पहले दो बार खजौली सीट से विधायक बने। बाद में राजनगर से लगातार दो बार जीते। पहले भी नीतीश सरकार में मंत्री रहे हैं।
14. जीवेश मिश्राः दूसरी बार जाले से विधायक बने हैं। भूमिहार जाति से आते हैं। उन्होंने कांग्रेस के मस्कूर उस्मानी को हराया है। मस्कूर उस्मानी पहले अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी छात्र संघ के अध्यक्ष थे। छात्र संघ का अध्यक्ष रहते उन पर अपने ऑफिस में जिन्ना की तस्वीर लगाने का आरोप लगा था।
15. रामसूरत रायः 2009 में उपचुनाव से राजनीतिक करियर शुरू किया, लेकिन हार गए। 2010 में भाजपा में शामिल होने के बाद विधायक बने। सात साल पहले राय तब चर्चा में आए थे जब नक्सलियों ने उनसे लेवी (एक तरह से टैक्स) मांगी थी।
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